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किस्म किस्म के आशिक

अंतहीन
अंतहीन
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एक अनार सौ बीमार, सबको लगा प्यार का बुखार

रूप रंग के इस दुनियां में, शहीद हुए आशिक हज़ार

कुछ लोग दुनियां को बड़े गौर से देखते है. जी नहीं मैं किसी बुद्धिजीवि की बात नहीं कर रहा. बेचारे दुनियां की बात करते ही कहां हैं.  क्योंकि दुनियां की लाख समस्यायें तो उन्हे दिखती है लेकिन इस ज़माने के सबसे पीड़ित, प्रत्याड़ित और परेशान वर्ग की चिंता किसी को नहीं. आज बात करते हैं आशिक की. वैसे आशिक आदमी की प्रजाति का एक उन्नत किस्म का जीव होता है.

लैला मंजनू के जमाने में आशिकों की किस्म मजबूत और ईमानदार टाइप की हुआ करती थी. पर अब विशेषज्ञों का माने तो  ख़ान पान और पर्यावरण में आए बदलाव से  इनकी पूरी प्रजाति में एक बदलाव देखा गया है. कुछ विशेषज्ञ इसे एक अच्छा परिवर्तन मानते हैं. उनका मानना है कि लैला के जमाने में पत्थर हुआ करती थी लेकिन अब के बंदूक वाले जमाने में आशिकों के भीतर का ये परिवर्तन स्वागत योग्य ही नहीं बल्कि इनके लड़की के भाई से इनकी प्रतिरोधक झमता बढ़ाने के लिए जरूरी भी है. मतलब डायनाशोर की तरह आशिकों के विलुत्त होने का कोई विशेष खतरा निकट भविष्य में नहीं दिखता.

पहले की अपेक्षा अब आशिक के किस्मों में भी विविधता आई है. वैसे आम तौर पर पशु-पक्षी, फल-सब्जी, पेड़-पौधे की कई प्रजातियां विलुप्त होती जा रहीं है लेकिन आशिक की बात करें तो इनकी प्रजातियां बढ़ती ही जा रहीं है. अभी ज्ञात आंकड़ों की बात करें तो इस क्षेत्र में शोध करने वाले समाजिक इंजीनियर्स का मानना है कि इनकी संख्या के आंकड़े चौकाने वाले हो सकते हैं.  कुछ लगनशील विद्यार्थियों खासकर प्यार के क्षेत्र में शोध करने वाले छात्रों से बातचीत कर हमने कुछ किस्मों के खास गुणों की चर्चा आगे की है.

दिल फेंक आशिक

विशेषता-

आप में से लगभग हर कोई इस तरह के आशिकों से परिचित होगा. ये भारत के हर क्षेत्र में पाए जाने वाले बड़े आशिक मिज़ाज लोग होतें हैं. इनकी उत्पति 60 के दशक में मुम्बई के फिल्म जगत से हुई थी. पर आजकल दिखने वाली किस्म उसी की उन्नत नस्ल है. या आशिक अक्सर शादी शुदा होतें है पर आजकल कुछ निराश लोग भी इस तरह के गुणों के लेकर अपनी आशिकी दिखाते पाए जाते हैं. निराश से मेरा मतलब जिनकी दाल समय पर नहीं गली और इस इंतज़ार में काफी उम्र निकल गई तो वे निराश हताश की तरह नजर आने लगते हैं.  फिर ये भी अपने दिल को हर किसी के उपर उछालते रहते हैं. इसे फेक दिल यानी नकली दिल वाला आशिक भी कहा जा सकता है.

प्यार में  सफलता की दर-

कम समय के लिए इन्हे काफी सफल होता देखा गया है लेकिन लांग रन में दिल फेंक आशिक प्यार की उठापटक से  खुद हाथ खींच लेते हैं.

बुढ़ऊ किस्म के आशिक

विशेषता-

इस तरह के आशिक  कुछ कुछ निराश से ही होते है. इन्हें ज्यादा निराश मानना चाहिय क्योंकि इस उम्र में ये बुढ़ऊ कहे जाने लगते हैं. हलांकि लोगों का कहना है कि ये आशिक अपने आप को सदा जवान मानते हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि इनके सर के बाल उड़े हों और चेहरे पर अजीब सी हंसी होने का बावजूद भी यो अधिक खूंखार नहीं होते. भस मौके की तालाश में इनकी आखें हर किसी पर जमीं रहती हैं.  इनकी अधिकतर मात्रा दफ्तरों में पाई जाती है.

सफलता की दर-

दफ्तरों में इनकी सफलता देकी तो गई है लेकिन कुछ चालाक किस्म के लोग बस इन आशिकों का फायदा ही उठातें हैं. आजकल इनके संख्या में कमी की वजह तेज तर्रार लड़कियों का फिल्ड में आना बताया जा रहा हैं और अक्सर लड़कियां न्यूज देखती है और एन डी तिवारी वाली खबर के बाद बेचारे बुड्ढ़ों का बाजार सिमटता जा रहा है.

चेप किस्म के आशिक

विशेषता-

इस तरह के लोग फिल्मों से प्रबावित होकर दिल के बाजार में उतरते हैं. और फिर किसी शाहरूख ख़ान की तरह या उससे भी उम्दा डायलॉग बाजी कर लेते हैं.   इस तरह के आशिक दिल फेंक की तरह ही होते हैं लेकिन इनको बेईज्जती का जरा कम डर रहता है. या भी हर किसी को शिकार समझतें हैं और इन्हे हमेशा लगता है कि इनका हर प्यार सच्चा है. इनकी खूबी यह है कि ये अपने किसी शिकार को अंत समय तक जाल में फांसने की कोशिश करते हैं.

सफलता की दर-

इनके सफलता की संभावना अधिक होती है लेकिन ये सफल नहीं हो पाते क्योकि कहा जाता है कि एक समय में एक ही शिकार फांसना चाहिय लेकिन ये लोग अपनी नजर चारों ओर दौड़ाते रहते हैं.  इस वजह से ज्यादा सफलता नहीं मिल पाती. हां फोन का बिल जरूर अधिक आ जाता है.

दुनियां के इन आशिकों के भीड़ में इनके दुःख दर्द को सुनने वाला कोई नहीं.  कुछ संगठित आशिकों का मानना है कि इनके लिए कोई ट्रेनिंग कोर्स चलना चाहिय ताकि इन्हें लड़की पटाने में मदद मिल सके. साथ ही लव गुरू को कानूनी मान्यता मिले. आशिक अपने आप को अन स्किल्ड परशन मानने से इनकार नहीं करते. सरकार ने दारू कि कीमतें बढ़ा कर इनपर काफी जुल्म किया है ये मानना है आशिकों के कुछ गुप्त संगठनों का. उम्मीद है इनकी सुनने वाला भी कोई इस दुनियां में आएगा. है

है दिल फेंक आशिक जमाने में बहुत,
अपने दामन को बचा कर रखिये।
न ठहर जाये अश्क आँखों में कहीं,
अपनी पलकों को झुका कर रखिये।
इश्क में मिलती है बस तनहाई यहाँ,
अपने दिल को गुलशन बना कर रखिये।
गम में रोना न पड़ जाये उम्र भर तुझको,
उस सितमगर को मेहमां बना कर रखिये।
बेवफ़ा हैं ये जमाने के रहनुमा सारे,
दिल के आईने में खुद को सजा कर रखिये।
ऎसा न हो लग जाये चोट दिल पर कोई,
अपने दिल को पत्थर सा बना कर रखिये।
बदनाम न कर दे दुनियाँ की जालिम नजरे,
खुद को दुनियाँ की से नजरों से बचा कर रखिये।

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